Sangeet Ka Vaishvik Sanvaad: Uttar Bhaarateey Sangeet Mein Videshee Prabhaav

Sangeet Ka Vaishvik Sanvaad: Uttar Bhaarateey Sangeet Mein Videshee Prabhaav

Authors: डॉ. शर्मिष्ठा घोष,
Publish Date/ Year : 2024 | Format: Paperback | Genre : Society & Social Sciences | Other Book Detail

परिवर्तन सृष्टि का एक शाश्वत नियम है। प्रकृति का कण-कण इस परिवर्तन से प्रभावित है। नीले सुने आकाश पर सहसा बादलों का घिर आना और फिर पल भर में पुनः सूर्य का प्रकट होना परिवर्तन का द्योतक है। परिवर्तन चाहे किसी भी क्षेत्र में हो हमेशा सुखद एवं आनन्दमय होता है। लेकिन इसका एक विपरीत पक्ष भी है जिसके कारण मन अवसाद ग्रस्त भी होता है। "परिवर्तन" शब्द अपने साथ अच्छा या सुखदायी तथा कष्टदायक पक्ष को भी समेटे हुए है। यह शब्द जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, यहाँ तक की साहित्य और कला भी इससे अछूता नहीं है। शिलट के शब्दों में "पुराना नष्ट होता है, समय परिवर्तित होता है और खण्डहरों में से नया जीवन उदित होता है।" वास्तव में परिवर्तन ही जीवन-संघर्ष का मूल महामंत्र है। गतिशीलता ही जीवन है। ठहराव विकास का अवरोधक है। संकीर्ण विचारों वाले व्यक्ति का ज्ञान ठहरे हुए पानी की तरह होता है, जबकि परिवर्तनशील पुरुष का ज्ञान बहते हुए पानी की तरह सभी को लाभान्वित करता है। परिवर्तनशील व्यक्ति समय और परिस्थिति के अनुसार स्वयं को उसमें ढालकर उन्नति के सोपान को प्राप्त करता है।
Pages

348 pages
Language

Hindi
Publication date

2024
ISBN-13

९७८ -९३ -६६७८ -३०३ -१




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डॉ. शर्मिष्ठा घोष

डॉ. शर्मिष्ठा घोष

डॉ. शर्मिष्ठा घोष जबलपुर, मध्य प्रदेश की एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायिका हैं। संगीत के प्रति गहन समर्पण के साथ, डॉ. शर्मिष्ठा घोष ने असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है और शास्त्रीय औट सुगम संगीत में अपने गायन कौशल के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर पहचान बनाई है। उनकी संगीत यात्रा उनके शैक्षणिक वर्षों के दौरान शुरू हुई, जहाँ उन्होंने लगातार प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, गायन शास्त्रीय और सुगम संगीत श्रेणियों में शीर्ष स्थान हासिल किया। उल्लेखनीय रूप से, एम. के. बी. शासकीय कला और वाणिज्य महाविद्यालय, जबलपुर में गायन शास्त्रीय में एम.ए. के दौरान, उन्होंने न केवल अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया, बल्कि 1997-98 में एक समूह गान प्रतियोगिता में प्रथम स्थान भी जीता। उनकी उत्कृष्टता तब जाटी रही जब उन्हें 1998-99 में छात्र परिषद द्वारा कक्षा प्रतिनिधि के रूप में नामित किया गया, जिससे उनके नेतृत्व गुणों पर और अधिक प्रकाश पड़ा। अपनी शेक्षणिक उपलब्धियों के अलावा, डॉ. शर्मिष्ठा घोष अंतर-कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताओं में एक प्रमुख व्यक्ति रही हैं। उन्होंने 1998-99 में इंटर कॉलेज यूथ फेस्टिवल में वोकल क्लासिकल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया और सी.पी. महिला महाविद्यालय, जबलपुर में अपने स्नातक वर्षों के दौरान लगातार विभिन्न अन्य प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनकी प्रतिभा को टाष्ट्रीय मंचों पर भी पहचाना गया है। वह 2004 में स्टार प्लस पर सैमसंग (वी) सुपर सिंगर प्रतियोगिता में फाइनलिस्ट थीं और 2005 में स्टार इंडिया टैलेंट हंट में भाग लिया था। 1997-98 में लायंस इंटर कॉलेज देशभक्ति गीत प्रतियोगिता में उनकी देशभक्ति की भावना चमक उठी, जहाँ उन्होंने अपने असाधारण प्रदर्शन के लिए अपनी अलग पहचान बनाई। 2005 में Zee TV द्वारा आयोजित साटेगामा TVS मंच पर एक प्रतिभागी के तौर पर संगीत कला का प्रदर्शन किया। पश्चिम मध्य रेलवे संस्कृति अकादमी द्वारा "बेयाम' के सम्मान समारोह में एक गायक कलाकार के रूप में भागीदारी की। H.M.V. द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता 'जरा याद करो कुर्बानी' में रेड क्रॉस सोसाइटी, जबलपुर द्वारा आयोजित एकल गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 2017 में कलकत्ता में आयोजित टाष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता "भारत के विद्रोही कवि नजरूल इस्लाम जी' की रचना पर भागीदारी की और शास्त्रीय गायन में द्वितीय स्थान अर्जित किया। नियमित रूप से जबलपुर में नजरूल गीति में भागीदारी की। इसके अलावा, 'आकाशवाणी (AIR) पर सुगम संगीत के रूप में प्रस्तुति दी। अपने पूरे करियर के दौरान, डॉ. अमिष्ठा घोष को विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों से कई पुरस्काटों और प्रशंसाओं से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कई प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जिसमें टोटरी क्लब ऑफ जबलपुर द्वारा आयोजित 'गीत भटरा प्रतियोगिता, निखिल भारत बंग साहित्य सम्मान द्वारा टैगोर गीत प्रतियोगिता औट सिद्धि बाला बोस लाइब्रेटरी एसोसिएशन द्वारा नजरूल जयंती उत्सव शामिल हैं। संगीत संकल्प द्वाटा आयोजित 'मल्हार के रंगः तूलिका के गीत जैसे कार्यक्रमों में उनके प्रदर्शन और पश्चिम मध्य रेलवे संस्कृति अकादमी द्वारा कल्याणजी-आनंदजी को श्रद्धांजलि देने में एक गायन कलाकार के रूप में उनकी भागीदारी को व्यापक रूप से सटाहा गया है। अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली में पारंगत डॉ. अमिष्ठा घोष ने अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक विटासत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह वर्तमान में जबलपुर में रहती हैं, जहाँ वह शास्त्रीय गायिकाओं की अगली पीढ़ी को प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती हैं।